Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा कब है और कैसे मनाएं
प्रकाशित: 09 Jul, 2025
"ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दये री बन में..."
यह भजन केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि माँ कैकेयी के निर्णय पर व्यथित जनमानस की वेदना है। जब श्रीराम को वनवास हुआ, तब अयोध्या के हर व्यक्ति का दिल रो पड़ा। इस भजन के माध्यम से उस पीड़ा, भाव और भक्ति को व्यक्त किया गया है।
ओ मईया तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में,
दीवानी तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में।।
जदपि भरत तेरो ही जायो,
तेरी करनी देख लजायो,
अपनों पद तैने आप गँवायो,
भरत की नजरन में,
राम-सिया भेज दये री बन में,
हठीली तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में।।
मेहल छोड़ वहाँ नहीं रे मड़ैया,
सिया सुकुमारी,संग दोउ भईया,
काहू वृक्ष तर भीजत होंगे,
तीनों मेहन में,
राम-सिया भेज दये री वन में,
दीवानी तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में।।
कौशल्या की छिन गयी बानी,
रोय ना सकी उर्मिल दीवानी,
कैकेयी तू बस एक ही रानी,
रह गयी महलन में,
राम-सिय भेज दये री बन में।।
ओ मईया तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में,
दीवानी तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में।।
ओ मईया तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में,
दीवानी तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में।।
कैकेयी के मन की हठधर्मिता ने राम और सीता जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम और पतिव्रता देवी को वनवास की ओर भेजा। भजन यह प्रश्न करता है — "माँ, तुझ पर क्या बीती जो तूने ऐसा किया?"
जदपि भरत तेरो ही जायो,
तेरी करनी देख लजायो,
अपनों पद तैने आप गँवायो,
भरत की नजरन में...
भरत, जो खुद रामभक्त थे, माँ की करनी पर शर्मिंदा हुए। उन्होंने राजसिंहासन को ठुकरा दिया और राम की खड़ाऊं को सिंहासन पर विराजमान कर दिया।
मेहल छोड़ वहाँ नहीं रे मड़ैया,
सिया सुकुमारी, संग दोउ भईया,
काहू वृक्ष तर भीजत होंगे...
वनवास कोई साधारण यात्रा नहीं थी। सिया माता, जो राजमहलों में पली थीं, अब वृक्षों की छाँव में रात बिताती थीं। राम-लक्ष्मण, जो अयोध्या के राजकुमार थे, अब तपस्वी बन गए।
कौशल्या की छिन गयी बानी,
रोय ना सकी उर्मिल दीवानी,
कैकेयी तू बस एक ही रानी,
रह गयी महलन में...
जब राम वन को गए, कौशल्या और उर्मिला जैसे माँ और पत्नी भी टूट गईं। इस भजन में उनके आंतरिक आघात की गूंज सुनाई देती है।
यह भजन हमें रामायण की एक अमर पीड़ा का स्मरण कराता है। कैकेयी के निर्णय से न केवल राम-सिया को वनवास मिला, बल्कि पूरा अयोध्या शोक में डूब गया।
यह भजन केवल कथा नहीं, यह रामायण की वेदना का एक जीवंत चित्रण है। कैकेयी का निर्णय पूरे युग को प्रभावित कर गया, और राम के वनवास की यह पीड़ा आज भी हर रामभक्त के दिल में गूंजती है।
🕉️ जय श्रीराम!
प्रकाशित: 09 Jul, 2025
प्रकाशित: 09 Jul, 2025
प्रकाशित: 09 Jul, 2025
प्रकाशित: 09 Jul, 2025
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