मेरे दाता के दरबार में सब लोगो का खाता भक्ति भजन लिरिक्स
प्रकाशित: 01 Jun, 2025
“तर्ज :- कब आवोगे “
कब आयेंगे रघुवीर मुदड़ी बोल जरा ।। टेर । ।
सच बता मुदड़ी तू कहां से आई,
तुझको पहने मेरे रघुराई।
मेरा शीतल हुआ शरीर। मुंदड़ी बोल जरा …………
पेड़ की ओट से हनुमंत बोले,
मुदड़ी दीन्ही राम सलौने।
मैं आया रणधीर। मुंदड़ी बोल जरा........
पापी रावण नित उठ आवे,
नंगी तलवार से मुझे डरावे।
मेरा थर थर कांपे शरीर। मुंदड़ी बोल जरा ………
गिन गिन तारे रात बिताऊँ,
रो रो अखिया नैन सुजाऊँ।
मेरा दुर्बल भया शरीर। मुदड़ी बोल जरा……
माता रघुवंशी आने वाले,
रावण का वंश मिटाने वाले।
तुम मन में राखो धीर। मुंदड़ी बोल जरा …….
तुलसी चन्द्र शरण में तेरी,
विनती सुनते हैं वह सबकी।
ये कह रहे हनुमंत वीर। मुंदड़ी बोल जरा
प्रकाशित: 01 Jun, 2025
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