Man Ki Tarng Maar Bhajan Lyrics - मन की तरंग मार लो, बस हो गया लिरिक्स
🌸 मन की तरंग मार लो, बस हो गया भजन | Bhajan Lyrics in Hindi
📜 भजन लिरिक्स: मन की तरंग मार लो
मन की तरंग मार लो, बस हो गया भजन।
आदत बुरी संवार लो, बस हो गया भजन॥
आये हो तुम कहाँ से, जाओगे तुम कहाँ।
इतना ही विचार लो, बस हो गया भजन॥
कोई तुम्हे बुरा कहे, तुम सुन कर क्षमा करो।
वाणी का स्वर संभाल लो, बस हो गया भजन॥
नेकी सभी के साथ में बन जाए तो करो।
मत सर बंदी का हर लो, बस हो गया भजन॥
नजरो में तेरी दोष है, दुनिया निहारते।
समता का अंजन ढाल लो, बस हो गया भजन॥
यह महल माडिया ना तेरे साथ जायेगी।
सतगुरु की महिमा जान लो, बस हो गया भजन॥
अनमोल ब्रह्मानंद जो चाहिए सदा।
घट घट में राम निहार लो, बस हो गया भजन॥
🧘 भजन का सार (भावार्थ)
यह भजन आत्मविकास और आंतरिक शांति की ओर प्रेरित करता है। इसमें बताया गया है कि भजन केवल वाणी से नहीं, बल्कि व्यवहार, क्षमा, नेकी और समभाव से भी किया जा सकता है। "बस हो गया भजन" एक संकेत है कि जब हम सत्य और सरलता के मार्ग पर चलते हैं, वही सच्चा भजन है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1: यह भजन किसने लिखा है?
उत्तर: इस भजन के लेखक अज्ञात हैं, लेकिन यह संतवाणी और आत्मिक चिंतन से प्रेरित एक पारंपरिक भजन है।
Q2: "बस हो गया भजन" का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि जब इंसान अपने मन, वाणी, कर्म और दृष्टिकोण को सुधार लेता है, तो वही सबसे सच्चा भजन है। केवल गीत गाने से नहीं, बल्कि अच्छे कर्मों से भी भजन होता है।
Q3: क्या इस भजन का वीडियो या ऑडियो भी उपलब्ध है?
उत्तर: यदि उपलब्ध है, तो आप हमारे यूट्यूब चैनल या भक्ति गीत प्लेटफॉर्म से सुन सकते हैं। (यहाँ लिंक जोड़ें)
Q4: क्या मैं इस भजन को कीर्तन या सत्संग में गा सकता हूँ?
उत्तर: हाँ, यह भजन सत्संग, ध्यान, भक्ति समारोह और कीर्तन के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
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