प्रभु जी मोरे अवगुण चित्त ना धरो भजन लिरिक्स

    श्री राम भजन

    • 29 Feb 2024
    • Admin
    • 1292 Views
    प्रभु जी मोरे अवगुण चित्त ना धरो भजन लिरिक्स
    प्रभु जी मोरे अवगुण चित्त ना धरो
    प्रभु जी मोरे अवगुण चित्त ना धरो
    समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो
     
    एक लोहा पूजा में राखत एक घर वधिक परो
    पारस गुण अवगुण नहीं चित वे
    कंचन करत खरो
     
    एक नदिया एक नाल कहावत मेलों ही नीर भरो
    जब दोनों मिल एक बरण भई
    सुरसरी नाम परो एक माया एक ब्रह्म कहावत सूर-श्याम झगड़ो
    अबकी बार मोहे पार उतारो
    नहीं प्रण जात टरो बोल सांचे दरबार की जय

     

    Share This Post:
    WhatsApp Group Join Now
    Telegram Group Join Now

    Popular Bhajan Lyrics

    Stay Connected With Us