कबीर चेतावनी भजन लिरिक्स लिरिक्स लिखित में
मन रे सत्संग आनंद पाई विषय वासना छोड़ो आपणी भजन लिरिक्स
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मन रे सत्संग आनंद पाई विषय वासना छोड़ो आपणी ,
राम नाम गुण गाई। मन रे सत्संग आनंद पाई।
प्रेम पदारथ मिले सत्संग में , भाग भला सो पाई।
होई मगन प्रेम रस पीवे , और विषय नहीं चाई।
मन रे सत्संग आनंद पाई। टेर। ..
मिनखा तन अमोलक मिलियो , वीरथा मत ना खोई।
मुक्ति द्वार है इन माहि , बाहर भटके काई।
मन रे सत्संग आनंद पाई। टेर। ..
गुरूजी का वचन हिरदे धरले , निर्भय कर दे ताई।
काल जाल का खटका मिटजे , सत्त में जाई समाई।
मन रे सत्संग आनंद पाई। टेर। ..
आतमराम सब घट दरसे , मिथ्या दरसे नाई।
बागाराम करो नित सतसंग , नित्य मुक्त हो जाई।
मन रे सत्संग आनंद पाई। टेर। ..
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