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    दुर्गा अमृतवाणी लिरिक्स इन हिंदी

    दुर्गा अमृतवाणी लिरिक्स इन हिंदी
    27 Mar
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    दुर्गा अमृतवाणी लिरिक्स –

    Durga Amritwani Lyrics In Hindi 

     Bhakti Bhajan Lyrics
    5–6 minutes


    मंगलमयी भय मोचिनी दुर्गा सुख की खान
    जिसके चरणों की सुधा स्वयं पिये भगवान ||

     

    दुःखनाशक संजीवनी नवदुर्गा का पाठ
    जिससे बनता भिक्षुक भी दुनिया का सम्राट ||

     

    अम्बा दिव्या स्वरूपिणी का ऐसो प्रकाश
    पृथ्वी जिससे ज्योतिर्मय उज्जव्वल है आकाश ||

     

    दुर्गा परम सनातनी जग की सृजनहार
    आदि भवानी महादेवी सृष्टि का आधार ||

     

     

    जय जय दुर्गे माँ, जय जय दुर्गे माँ

    सदमार्ग प्रदर्शनी न्यान का ये उपदेश
    मन से करता जो मनन उसके कटे कलेश ||

     

    जो भी विपत्ति काल में करे दुर्गा जाप
    पूर्ण हो मनोकामना भागे दुःख संताप ||

     

    उत्पन्न करता विश्व की शक्ति अपरम्पार
    इसका अर्चन जो करे भव से उतरे पार ||

    दुर्गा शोकविनाशिनी ममता का है रूप
    सती साध्वी सतवंती सुख की कला अनूप ||

     

    जय जय दुर्गे माँ, जय जय दुर्गे माँ

    विष्णु ब्रह्मा रूद्र भी दुर्गा के है अधीन
    बुद्धि विद्या वरदानी सर्वसिद्धि प्रवीण ||

     

    लाख चौरासी योनियां से ये मुक्ति दे
    महामाया जगदम्बिके जब भी दया करे ||

     

    दुर्गा दुर्गति नाशिनी सिंघवाहिनी सुखकार
    वेदमाता ये गायत्री सबकी पालनहार ||

     

    सदा सुरक्षित वो जन है जिस पर माँ का हाथ
    विकट डगरिया पे उसकी कभी ना बिगड़े बात ||

     

    जय जय दुर्गे माँ, जय जय दुर्गे माँ

    महागौरी वरदायिनी मैया दुःख निदान
    शिवदूती ब्रह्मचारिणी करती जग कल्याण ||

     

    संकटहरणी भगवती की तू माला फेर
    चिंता सकल मिटाएगी घडी लगे ना देर ||

     

    पारस चरणन दुर्गा के जग जग माथा टेक
    सोना लोहे को करे अद्भुत कौतक देख ||

     

    भवतारक परमेश्वरि लीला करे अनंत
    इसके वंदन भजन से पापो का हो अंत ||

     

    दुर्गा माँ दुःख हरने वाली,
    मंगल मंगल करने वाली,
    भय के सर्प को मारने वाली,
    भवनिधि से जग तारने वाली ||

     

    अत्याचार पाखंड की दमिनी,
    वेद पुराणों की ये जननी,
    दैत्य भी अभिमान के मारे,
    दीन हीन के काज संवारे ||

     

    सर्वकलाओं की ये मालिक,
    शरणागत धनहीन की पालक,
    इच्छित वर प्रदान है करती,
    हर मुश्किल आसान है करती ||

     

    भ्रामरी हो हर भ्रम मिटावे,
    कण-कण भीतर कजा दिखावे,
    करे असम्भव को ये सम्भव,
    धन धान्य और देती वैभव ||

     

    महासिद्धि महायोगिनी माता,
    महिषासुर की मर्दिनी माता,
    पूरी करे हर मन की आशा,
    जग है इसका खेल तमाशा ||

     

    जय दुर्गा जय-जय दमयंती,
    जीवन-दायिनी ये ही जयन्ती,
    ये ही सावित्री ये कौमारी,
    महाविद्या ये पर उपकारी ||

     

    सिद्ध मनोरथ सबके करती,
    भक्त जनों के संकट हरती,
    विष को अमृत करती पल में,
    यही तारती पत्थर जल में ||

     

    इसकी करुणा जब है होती,
    माटी का कण बनता मोती,
    पतझड़ में ये फूल खिलावे,
    अंधियारे में जोत जलावे ||

     

    वेदों में वर्णित महिमा इसकी,
    ऐसी शोभा और है किसकी,
    ये नारायणी ये ही ज्वाला,
    जपिए इसके नाम की माला ||

     

    ये ही है सुखेश्वरी माता,
    इसका वंदन करे विधाता,
    पग-पंकज की धूलि चंदन,
    इसका देव करे अभिनंदन ||

     

    जगदम्बा जगदीश्वरी दुर्गा दयानिधान,
    इसकी करुणा से बने निर्धन भी धनवान ||

     

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    छिन्नमस्ता जब रंग दिखावे,
    भाग्यहीन के भाग्य जगावे,
    सिद्धि दात्री आदि भवानी,
    इसको सेवत है ब्रह्मज्ञानी ||

     

    शैल-सुता माँ शक्तिशाला,
    इसका हर एक खेल निराला,
    जिस पर होवे अनुग्रह इसका,
    कभी अमंगल हो ना उसका ||

     

    इसकी दया के पंख लगाकर,
    अम्बर छूते है कई जाकर,
    राय को ये ही पर्वत करती,
    गागर में है सागर भरती ||

     

    इसके कब्जे जग का सब है,
    शक्ति के बिना शिव भी शव है,
    शक्ति ही है शिव की माया,
    शक्ति ने ब्रह्मांड रचाया ||

     

    इस शक्ति का साधक बनना,
    निष्ठावान उपासक बनना,
    कुष्मांडा भी नाम इसका,
    कण-कण में है धाम इसका ||

     

    दुर्गा माँ प्रकाश स्वरूपा,
    जप-तप ज्ञान तपस्या रूपा,
    मन में ज्योत जला लो इसकी,
    साची लगन लगा लो इसकी ||

     

    कालरात्रि ये महामाया,
    श्रीधर के सिर इसकी छाया,
    इसकी ममता पावन झुला,
    इसको ध्यानु भक्त ना भुला ||

     

    इसका चिंतन चिंता हरता,
    भक्तो के भंडार है भरता,
    साँसों का सुरमंडल छेड़ो,
    नवदुर्गा से मुंह मोड़ो ||

     

    चन्द्रघंटा कात्यानी,
    महादयालू महाशिवानी,
    इसकी भक्ति कष्ट निवारे,
    भवसिंधु से पार उतारे ||

     

    अगम अनंत अगोचर मैया,
    शीतल मधुकर इसकी छैया,
    सृष्टि का है मूल भवानी,
    इसे कभी भूलो प्राणी ||

     

    दुर्गा माँ प्रकाश स्वरूपा,
    जप तप ज्ञान तपस्या रूपा,
    मन में ज्योत जला लो इसकी,
    साची लगन लगा लो इसकी ||

     

    खड्ग-धारिणी हो जब आई,
    काल रूप महा-काली कहाई,
    शुम्भ निशुम्भ को मार गिराया,
    देवों को भय-मुक्त बनाया ||

     

    अग्निशिखा से हुई सुशोभित,
    सूरज की भाँती प्रकाशित,
    युद्ध-भूमि में कला दिखाई,
    दानव बोले त्राहि-त्राहि ||

     

    करे जो इसका जाप निरंतर,
    चले ना उस पर टोना मंत्र,
    शुभ-अशुभ सब इसकी माया,
    किसी ने इसका पार ना पाया ||

     

    इसकी भक्ति जाए ना निष्फल,
    मुश्किल को ये डाले मुश्किल,
    कष्टों को हर लेने वाली,
    अभयदान वर देने वाली ||

     

    धन लक्ष्मी हो जब आती,
    कंगाली है मुंह छुपाती,
    चारों और छाए खुशाहली,
    नजर ना आये फिर बदहाली ||

     

    कल्पतरु है महिमा इसकी,
    कैसे करू मै उपमा इसकी,
    फल दायिनी है भक्ति जिसकी,
    सबसे न्यारी शक्ति उसकी ||

     

    अन्नपूर्णा अन्न-धनं को देती,
    सुख के लाखों साधन देती,
    प्रजा-पालक इसे ध्याते,
    नर-नारायण भी गुण गाते ||

     

    चम्पाकली सी छवि मनोहर,
    इसकी दया से धर्म धरोहर,
    त्रिभुवन की स्वामिनी ये है,
    योगमाया गजदामिनी ये है ||

     

    रक्तदन्ता भी इसे है कहते,
    चोर निशाचर दानव डरते,
    जब ये अमृत-रस बरसावे,
    मृत्युलोक का भय ना आवे ||

     

    काल के बंधन तोड़े पल में,
    सांस की डोरी जोड़े पल में,
    ये शाकम्भरी माँ सुखदायी,
    जहां पुकारू वहां सहाई ||


    विंध्यवासिनी नाम से,करे जो निशदिन याद,
    उसे ग्रह में गूंजता, हर्ष का सुरमय नाद ||

     

    ये चामुण्डा चण्ड-मुण्ड घाती,
    निर्धन के सिर ताज सजाती,
    चरण-शरण में जो कोई जाए,
    विपदा उसके निकट ना आये ||

     

    चिंतपूर्णी चिंता है हरती,
    अन्न-धनं के भंडारे भरती,
    आदि-अनादि विधि विधाना,
    इसकी मुट्ठी में है जमाना ||

     

    रोली कुम -कुम चन्दन टीका,
    जिसके सम्मुख सूरज फीका,
    ऋतुराज भी इसका चाकर,
    करे आराधना पुष्प चढ़ाकर ||

     

    इंद्र देवता भवन धुलावे,
    नारद वीणा यहाँ बजावे,
    तीन लोक में इसकी पूजा,
    माँ के सम कोई भी दूजा ||

     

    ये ही वैष्णो आदिकुमारी,
    भक्तन की पत राखनहारी,
    भैरव का वध करने वाली,
    खण्डा हाथ पकड़ने वाली ||

     

    ये करुणा का न्यारा मोती,
    रूप अनेकों एक है ज्योति,
    माँ वज्रेश्वरी कांगड़ा वाली,
    खाली जाए ना कोई सवाली ||

     

    ये नरसिंही ये वाराही,
    नेहमत देती ये मनचाही,
    सुख समृद्धि दान है करती,
    सबका ये कल्याण है करती ||

     

    मयूर कही है वाहन इसका,
    करते ऋषि आहवान इसका,
    मीठी है ये सुगंध पवन में,
    इसकी मूरत राखो मन में ||

     

     

    नैना देवी रंग इसी का,
    पतितपावन अंग इसी का,
    भक्तो के दुःख लेती ये है,
    नैनो को सुख देती ये है ||

     

    नैनन में जो इसे बसाते,
    बिन मांगे ही सब कुछ पाते,
    शक्ति का ये सागर गहरा,
    दे बजरंगी द्वार पे पहरा ||

     

    इसके रूप अनूप की, समता करे ना कोय,
    पूजे चरण-सरोज जो, तन मन शीतल होय ||

     

    कालीका रूप में लीला करती,
    सभी बलाएं इससे डरती,
    कही पे है ये शांत स्वरूपा,
    अनुपम देवी अति अनूपा ||

     

    अर्चना करना एकाग्र मन से,
    रोग हरे धनवंतरी बन के,
    चरणपादुका मस्तक धर लो,
    निष्ठा लगन से सेवा कर लो ||

     

    मनन करे जो मनसा माँ का,
    गौरव उत्तम पाय जवाका,
    मन से मनसा-मनसा जपना,
    पूरा होगा हर इक सपना ||

     

    ज्वाला-मुखी का दर्शन कीजो,
    भय से मुक्ति का वर लीजो,
    ज्योति यहाँ अखण्ड हो जलती,
    जो है अमावस पूनम करती ||

     

     

    श्रद्धा -भाव को कम ना करना,
    दुःख में हंसना गम ना करना,
    घट-घट की माँ जाननहारी,
    हर लेती सब पीड़ा तुम्हारी ||

     

    बगलामुखी के द्वारे जाना,
    मनवांछित ही वैभव पाना,
    उसी की माया हंसना रोना,
    उससे बेमुख कभी ना होना ||

     

    शीतल-शीतल रस की धारा,
    कर देगी कल्याण तुम्हारा,
    धुनी वहां पे रमाये रखना,
    मन से अलख जगाये रखना ||

     

    भजन करो कामाख्या जी का,
    धाम है जो माँ पार्वती का,
    सिद्ध माता सिद्धेश्वरी है,
    राजरानी राजेश्वरी है ||

     

    धूप दीप से उसे मनाना,
    श्यामा गौरी रटते जाना,
    उकिनी देवी को जिसने आराधा,
    दूर हुई हर पथ की बाधा ||

     

    नंदा देवी माँ जो ध्याओगे,
    सच्चा आनंद वही पाओगे,
    कौशिकी माता जी का द्वारा,
    देगा तुझको सदा सहारा ||

     

    महालक्ष्मी को पूजते रहियो,
    धन सम्पत्ति पाते ही रहिओ,
    घर में सच्चा सुख बरसेगा,
    भोजन को ना कोई तरसेगा ||

     

    जिव्ह्दानी करते जो चिंतन,
    छुट जायेंगे यम के बंधन,
    महाविद्या की करना सेवा,
    ज्ञान ध्यान का पाओगे मेवा ||

     

    अर्बुदा माँ का द्वार निराला,
    पल में खोले भाग्य का ताला,
    सुमिरन उसका फलदायक,
    कठिन समय में होए सहायक ||

     

    त्रिपुर-मालिनी नाम है न्यारा,
    चमकाए तकदीर का तारा,
    देविकानाभ में जाकर देखो,
    स्वर्ग-धाम वो माँ का देखो ||

     

    पाप सारे धोती पल में,
    काया कुंदन होती पल में,
    सिंह चढ़ी माँ अम्बा देखो,
    शारदा माँ जगदम्बा देखो ||

     

    लक्ष्मी का वहां प्रिय वासा,
    पूरी होती सब की आशा,
    चंडी माँ की ज्योत जगाना,
    सच्चा सेवी समझ वहां जाना ||

     

    दुर्गा भवानी के दर जाके,
    आस्था से एक चुनर चढ़ा के,
    जग की खुशियाँ पा जाओगे,
    शहंशाह बनकर जाओगे ||

     

    वहां पे कोई फेर नहीं है,
    देर तो है अंधेर नहीं है,
    कैला देवी करौली वाली,

    जिसने सबकी चिंता टाली ||

     

    लीला माँ की अपरम्पारा,
    करके ही विशवास तुम्हारा,
    करणी माँ की अदभुत करणी,
    महिमा उसकी जाए ना वरणी ||

     

    भूलो ना कभी चौथ की माता,
    जहाँ पे कारज सिद्ध हो जाता,
    भूखो को जहाँ भोजन मिलता,
    हाल वो जाने सबके दिल का ||

     

    सप्तश्रंगी मैया की, साधना कर दिन रैन,
    कोष भरेंगे रत्नों से, पुलकित होंगे नैन ||

     

    मंगलमयी सुख धाम है दुर्गा,
    कष्ट निवारण नाम है दुर्गा,
    सुख्दरूप भव तरिणी मैया,
    हिंगलाज भयहारिणी मैया ||

     

    रमा उमा माँ शक्तिशाला,
    दैत्य दलन को भई विकराला,
    अंत:करण में इसे बसालो,
    मन को मंदिर रूप बनालो ||

     

    रोग शोक बाहर कर देती,
    आंच कभी ना आने देती,
    रत्न जड़ित ये भूषण धारी,
    देवता इसके सदा आभारी ||

     

     

    धरती से ये अम्बर तक है,
    महिमा सात समंदर तक है,
    चींटी हाथी सबको पाले,
    चमत्कार है बड़े निराले ||

     

    मृत संजीवनी विध्यावाली,
    महायोगिनी ये महाकाली,
    साधक की है साधना ये ही,
    जपयोगी आराधना ये ही ||

     

    करुणा की जब नजर घुमावे,
    कीर्तिमान धनवान बनावे,
    तारा माँ जग तारने वाली,
    लाचारों की करे रखवाली ||

     


    कही बनी ये आशापुरनी,
    आश्रय दाती माँ जगजननी,
    ये ही है विन्धेश्वारी मैया,
    है वो जगभुवनेश्वरी मैया ||

     

    इसे ही कहते देवी स्वाहा,
    साधक को दे फल मनचाहा,
    कमलनयन सुरसुन्दरी माता,
    इसको करता नमन विधाता ||

     

    वृषभ पर भी करे सवारी,
    रुद्राणी माँ महागुणकारी,
    सर्व संकटो को हर लेती,
    विजय का विजया वर है देती ||

     

    योगकला जप तप की दाती,
    परमपदों की माँ वरदाती,
    गंगा में है अमृत इसका,
    आत्म बल है जागृत इसका ||

     

    अन्तर्मन में अम्बिके, रखे जो हर ठौर,
    उसको जग में देवता, भावे ना कोई और ||

     

    पदमावती मुक्तेश्वरी मैया,
    शरण में ले शरनेश्वरी मैया,
    आपातकाल रटे जो अम्बा,
    थामे हाथ ना करत विलम्बा ||

     

    मंगल मूर्ति महा सुखकारी,
    संत जनों की है रखवारी,
    धूमावती के पकड़े पग जो,
    वश में करले सारे जग को ||

     

    दुर्गा भजन महा फलदायी,
    प्रलय काल में होत सहाई,
    भक्ति कवच हो जिसने पहना,
    वार पड़े ना दुःख का सहना ||

     

    मोक्षदायिनी माँ जो सुमिरे,
    जन्म मरण के भव से उबरे,
    रक्षक हो जो क्षीर भवानी,
    चले काल की ना मनमानी ||

     

    जिस ग्रह माँ की ज्योति जागे,
    तिमर वहां से भय से भागे,
    दुखसागर में सुखी जो रहना,
    दुर्गा नाम जपो दिन रैना ||

     

     

    अष्ट-सिद्धि नौ निधियों वाली,
    महादयालु भद्रकाली,
    सपने सब साकार करेगी,
    दुखियों का उद्धार करेगी ||

     

    मंगला माँ का चिंतन कीजो,
    हरसिद्धि ते हर सुख लीजो,
    थामे रहो विश्वास की डोरी,
    पकड़ा देगी अम्बा गौरी ||

     

     

    भक्तो के मन के अंदर,
    रहती है कण -कण के अंदर,
    सूरज चाँद करोड़ो तारे,
    ज्योत से ज्योति लेते सारे ||

     

    वो ज्योति है प्राण स्वरूपा,
    तेज वही भगवान स्वरूपा,
    जिस ज्योति से आये ज्योति,
    अंत उसी में जाए ज्योति ||

     

     

    ज्योति है निर्दोष निराली,
    ज्योति सर्वकलाओं वाली,
    ज्योति ही अन्धकार मिटाती,
    ज्योति साचा राह दिखाती ||

     

    अम्बा माँ की ज्योति में, तू ब्रह्मांड को देख,
    ज्योति ही तो खींचती, हर मस्तक की रेख ||

     

    जगदम्बा जगतारिणी जगदाती जगपाल,
    इसके चरणन जो हुए उन पर होए दयाल ||

     

    माँ की शीतल छाँव में स्वर्ग सा सुखहोये,
    जिसकी रक्षा माँ करे मार सके ना कोय ||

     

    करुणामयी कापालिनी दुर्गा दयानिधान,
    जैसे जिसकी भावना वैसे दे वरदान ||

     

    मातृ श्री महाशारदे नमता देत अपार,
    हानि बदले लाभ में जब ये हिलावे तार ||

     

    जय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँ ||

    नश्वर हम खिलौनों की चाबी माँ के हाथ,
    जैसे इशारा माँ करे नाचे हम दिन-रात ||

     

    भाग्य लिखे भाग्येश्वरी लेकर कलम-दवात,
    कठपुतली के बस में क्या, सब कुछ माँ के हाथ ||

     

    पतझड़ दे या दे हमें खुशियों का मधुमास,
    माँ की मर्जी है जो दे हर सुख उसके पास ||

     

    माँ करुणा की नाव पर होंगे जो भी सवार,
    बाल भी बांका होए ना वैरी जो हो संसार ||

    जय जय आंबे माँ, जय जगदम्बे माँ ||

     

    मंगला माँ के भक्त के, ग्रह में मंगलाचार,
    कभी अमंगल हो नहीं, पवन चले सुखकार ||

     

    शक्ति ही को लो शक्ति मिलती इसके धाम,
    कामधेनु के तुल्य है शिवशक्ति का नाम ||

     

    चन्दन वृक्ष है एक भला बुरे है लाख बबूल,
    बदी के कांटे छोड़ के चुन नेकी के फूल ||

     

    माँ के चरण-सरोज की कलियों जैसे सुगंध,
    स्वर्ग में भी ना होगा जो है यहाँ आनंद ||

    जय जय आंबे माँ, जय जगदम्बे माँ ||

     

    पाप के काले खेल में सुख ना पावे कोय,
    कोयले की तो खान में सब कुछ काला होय ||

     

    निकट ना आने दो कभी दुष्कर्मो के नाग,
    मानव चोले पर नहीं लगने दीजो दाग

    नवदुर्गा के नाम का मनन करो सुखकार,
    बिन मोल बिन दाम ही करेगी माँ उपकार ||

     

     

    भव से पार लगाएगी माँ की एक आशीष,
    तभी तो माँ को पूजते श्री हरी जगदीश ||


    विधि पूर्वक जोत जलाकर,
    माँ चरणन में ध्यान लगाकर,
    जो जन मन से पूजा करेंगे,
    जीवन-सिन्धु सहज तरेंगे ||

     

    कन्या रूप में जब दे दर्शन,
    श्रद्धा-सुमन कर दीजो अर्पण,
    सर्वशक्ति वो आदिकौमारी,
    जाइये चरणन पे बलिहारी ||

     

    त्रिपुर रूपिणी ज्ञानमयी माँ,
    भगवती वो वरदानमयी माँ,
    चंड -मुंड नाशक दिव्या-स्वरूपा,
    त्रिशुलधारिणी शंकर रूपा ||

     

    करे कामाक्षी कामना पूरी,
    देती सदा माँ सबरस पूरी,
    चंडिका देवी का करो अर्चन,
    साफ़ रहेगा मन का दर्पण ||

     

    सर्व भूतमयी सर्वव्यापक,
    माँ की दया के देवता याचक,
    स्वर्णमयी है जिसकी आभा,
    चाहती नहीं है कोई दिखावा ||

     

    कही वो रोहिणी कही सुभद्रा,
    दूर करत अज्ञान की निंद्रा,
    छल कपट अभिमान की दमिनी,
    सुख सौ भाग्य हर्ष की जननी ||

     

    आश्रय दाति माँ जगदम्बे,
    खप्पर वाली महाबली अम्बे,
    मुंडन की जब पहने माला,
    दानव-दल पर बरसे ज्वाला ||

     

    जो जन उसकी महिमा गाते,
    दुर्गम काज सुगम हो जाते,
    जय विजय अपराजिता माई,
    जिसकी तपस्या महाफलदाई ||

     

     

    चेतना बुद्धि श्रधा माँ है,
    दया शान्ति लज्जा माँ है,
    साधन सिद्धि वर है माँ का,
    जहा भक्ति वो घर है माँ का ||

     

     

    सप्तशती में दुर्गा दर्शन,
    शतचंडी है उसका चिन्तन,
    पूजा ये सर्वार्थ- साधक,
    भवसिंधु की प्यारी नावक ||

     

    देवी-कुण्ड के अमृत से, तन मन निर्मल हो,
    पावन ममता के रस में, पाप जन्म के धो ||

     

    अष्टभुजा जग मंगल करणी,
    योगमाया माँ धीरज धरनी,
    जब कोई इसकी स्तुति करता,
    कागा मन हंस बनता

    महिष-मर्दिनी नाम है न्यारा,
    देवों को जिसने दिया सहारा,
    रक्तबीज को मारा जिसने,
    मधु-कैटभ को मारा जिसने ||

     

    धूम्रलोचन का वध कीन्हा,
    अभय-दान देवन को दीन्हा,
    जग में कहाँ विश्राम इसको,
    बार-बार प्रणाम है इसको ||

     

    यज्ञ हवन कर जो बुलाते,
    भ्रमराम्भा माँ की शरण में जाते,
    उनकी रखती दुर्गा लाज,
    बन जाते है बिगड़े काज ||

     

     

    सुख पदार्थ उनको है मिलते,
    पांचो चोर ना उनको छलते,
    शुद्ध भाव से गुण गाते,
    चक्रवर्ती है वो कहलाते ||

     

    दुर्गा है हर जन की माता,
    कर्महीन निर्धन की माता,
    इसके लिए कोई गैर नहीं है,
    इसे किसी से बैर नहीं है ||

     

     

    रक्षक सदा भलाई की मैया,
    शत्रु सिर्फ बुराई की मैया,
    अनहद ये स्नेहा का सागर,
    कोई नहीं है इसके बराबर ||

     

    दधिमति भी नाम है इसका,
    पतित-पावन धाम है इसका,
    तारा माँ जब कला दिखाती,
    भाग्य के तारे है चमकाती ||

     

    कौशिकी देवी पूजते रहिये,
    हर संकट से जूझते रहिये,
    नैया पार लगाएगी माता,
    भय हरने को आएगी माता ||

     

    अम्बिका नाम धराने वाली,
    सूखे वृक्ष तिलाने वाली,
    पारस मणियाँ जिसकी माला,
    दया की देवी माँ कृपाला ||

     

    मोक्षदायिनी के द्वारे भक्त खड़े कर जोड़,
    यमदूतो के जाल को घडी में दे जो तोड़ ||

     

    भैरवी देवी का करो वंदन,
    ग्वाल बाल से खिलेगा आँगन,
    झोलियाँ खाली ये भर देती,
    शक्ति भक्ति का वर देती ||

     

    विमला मैया ना विसराओ,
    भावना का प्रसाद चढाओ,
    माटी को कर देगी चंदन,
    साची माँ ये असुर निकंदन ||

     

    तोड़ेगी जंजाल ये सारे,
    सुख देती तत्काल ये सारे,
    पग-पंकज की धुलि पा लो,
    माथे उसका तिलक लगा लो ||

     

    हर एक बाधा टल जाएगी,
    भय की डायन जल जाएगी,
    भक्तों से ये दूर नहीं है,
    दाती है मजबूर नहीं है ||

     

    उग्र रूप माँ उग्र तारा,
    जिसकी रचना ये जग सारा,
    अपनी शक्ति जब दिखलाती,
    उंगली पर संसार नचाती ||

     

    जल थल नील गगन की मालिक,
    अग्नि और पवन की मालिक,
    दशों दिशाओं में ये रहती,
    सभी कलाओं में ये रहती ||

     

    इसके रंग में ईश्वर रंगा,
    ये ही है आकाश की गंगा,
    इन्द्रधनुष है माया इसकी,
    नजर ना आती काया इसकी ||

     

    जड़ भी ये ही चेतन ये ही,
    साधक ये ही साधन ये ही,
    ये महादेवी ये महामाया,
    किसी ने इसका पार ना पाया ||

     

    ये है अर्पणा ये श्री सुन्दरी,
    चन्द्रभागा ये सावित्री,
    नारायणी का रूप यही है,
    नंदिनी माँ का स्वरूप यही है ||

     

    जप लो इसके नाम की माला,
    कृपा करेगी ये कृपाला,
    ध्यान में जब तुम खो जाओगे,
    माँ के प्यारे हो जाओगे ||

     

     
    इसका साधक कांटो पे फुल समझ कर सोए,
    दुःख भी हंस के झेलता, कभी ना विचलित होए ||

     

    सुख-सरिता देवी सर्वानी,
    मंगल-चण्डी शिव शिवानी,
    आस का दीप जलाने वाली,
    प्रेम सुधा बरसाने वाली ||

     

    मुम्बा देवी की करो पूजा,
    ऐसा मंदिर और ना दूजा,
    मनमोहिनी मूरत माँ की,
    दिव्या ज्योत है सूरत माँ की ||

     

    ललिता ललित-कला की मालक,
    विकलांग और लाचार की पालक,
    अमृत वर्षा जहां भी करती,
    रत्नों से भंडार है भरती ||

     

    ममता की माँ मीठी लोरी,
    थामे बैठी जग की डोरी,
    दुश्मन सब और गुनी ज्ञानी,
    सुनते माँ की अमृतवाणी ||

     

    सर्व समर्थ सर्वज्ञ भवानी,
    पार्वते ही माँ कल्याणी,
    जय दुर्गे जय नर्मदा माता,
    मुरलीधर गुण तेरा गाता ||

     

    ये ही उमा मिथिलेश्वरी है,
    भयहरिणी भक्तेश्वरी है,
    देवता झुकते द्वार पे इसके,
    कौन गिने उपकार इसके ||

     

    माला धारी ये मृगवाही,
    सरस्वती माँ ये वाराही,
    अजर अमर है ये अनंता,

    सकल विश्व की इसको चिंता ||

     

    कन्याकुमारी धाम निराला,
    धन पदार्थ देने वाला,
    देती ये संतान किसी को,
    जीविका के वरदान किसी को ||

     

     श्रद्धा विश्वास से आता,
    कोई क्लेश ना उसे सताता,
    जहाँ ये वर्षा सुख की करती,
    वहां पे सिद्धिय पानीभरती ||

     

    विधि विधाता दास है इसके,
    करुणा का धन पास है इससे,
    ये जो मानव हँसता रोता,
    माँ की इच्छा से ही होता ||

     

    श्रद्धा दीप जलाए के जो भी करे अरदास,
    उसकी माँ के द्वार पे पूर्ण हो सब आस ||

     

     
    कोई कहे इसे महाबली माता,
    जो भी सुमिरे वो फल पाता,
    निर्बल को बल यही पे मिलता,
    घडियों में ही भाग्य बदलता ||

     

    अच्छरू माँ के गुण जो गावे,

    पूजा ना उसकी निष्फल जावे,
    अच्छरू सब कुछ अच्छा करती,
    चिंता संकट भय को हरती ||

     

    करुणा का यहाँ अमृत बहता,
    मानव देख चकित है रहता,
    क्या क्या पावन नाम है माँ के,
    मुक्तिदायक धाम है माँ के ||

     

    कही पे माँ जागेश्वरी है,
    करुणामयी करुणेश्वरी है,
    जो जन इसके भजन में जागे,
    उसके घर दर्द है भागे ||

     

     

    नाम कही है अरासुर अम्बा,
    पापनाशिनी माँ जगदम्बा,
    की जो यहाँ अराधना मन से,
    झोली भरेगी भक्ति धन से ||

     

    भुत पिशाच का डर ना रहेगा,
    सुख का झरना सदा बहेगा,
    हर शत्रु पर विजय मिलेगी,
    दुःख की काली रात टलेगी ||

     

    कनकावती करेडी माई,
    संत जनों की सदा सहाई,
    सच्चे दिल से करे जो पूजन,
    पाये गुनाह से मुक्ति दुर्जन ||

    हर सिद्धि का जाप जो करता,
    किसी बला से वो नहीं डरता,
    चिंतन में जब मन खो जाता,
    हर मनोरथ सिद्ध हो जाता ||

     

    कही है माँ का नाम खनारी,
    शान्ति मन को देती न्यारी,
    इच्छापूर्ण करती पल में,
    शहद घुला है यहाँ के जल में ||

     

    सबको यहाँ सहारा मिलता,
    रोगों से छुटकारा मिलता,
    भलाई जिसने करते रहना,
    ऐसी माँ का क्या है कहना ||

     

    क्षीरजा माँ अम्बिके दुःख हरन सुखधाम,
    जन्म जन्म के बिगड़े हुए यहाँ पे सिद्ध हो काम ||

     

    झंडे वाली माँ सुखदाती,
    कांटो को भी फुल बनाती,
    यहाँ भिखारी भी जो आता,
    दानवीर वो है बन जाता ||

     
    बांझो को यहाँ बालक मिलते,
    इसकी दया से लंगड़े चलते,
    श्रद्धा भाव प्यार की भूखी,
    ये है दिली सत्कार की भूखी ||

     

    यहाँ कभी अभिमान ना करना,
    कंजको का अपमान ना करना,
    घट-घट की ये जाननहारी,
    इसको सेवत दुनिया सारी ||

     

     

    भयहरिणी भंडारिका देवी,
    जिसे ध्याया देवों ने भी,
    चरण -शरण में जो भी आये,
    वो कंकड़ हीरा बन जाए ||

     

    बुरे ग्रह का दोष मिटाती,
    अच्छे दिनों की आस जगाती,
    ऐसा पलटे माँ ये पासा,
    हो जाती है दूर निराशा ||

     

    उन्नति के ये शिखर चढ़ावे,
    रंको को ये राजा बनावे,
    ममता इसकी है वरदानी,
    भूल के भी ना भूलो प्राणी ||

     

    कही पे कुंती बन के बिराजे,
    चारो और ही डंका बाजे,
    सपने में भी जो नहीं सोचा,
    यहा पे वो कुछ मिलते देखा ||

     

    कहता कोई समुंद्री माता,
    कृपा समुंद्र का रस है पाता,
    दागी चोले यहाँ पर धुलते,
    बंद नसीबों के दर खुलते ||

     

    दया समुंद्र की लहराए,
    बिगड़ी कईयों की बन जाए,
    लहरें समुंद्र में है जितनी,
    करुणा की है नेहमत उतनी ||

     

    इतने ये उपकार है करती है करती,
    हो नहीं सकती किसी से गिनती,
    जिसने डोर लगन की बाँधी,
    जग में उत्तम पाये उपाधि ||

     

    सर्व मंगल जगजननी मंगल करे अपार,
    सबकी मंगलकामना करता इस का द्वार ||

     

    भादवा मैया है अति प्यारी,
    अनुग्रह करती पातकहारी,
    आपतियों का करे निवारण,
    आप कर्ता आप ही कारण ||

     

    झुरगी में वो मंदिर में वो,
    बाहर भी वो अंदर में वो,
    वर्षा वो ही बसंत वो ही,
    लीला करे अनंत वो ही ||

     

    दान भी वो ही दानी वो ही,
    प्यास भी वो ही पानी वो ही,
    दया भी वो दयालु वो ही,
    कृपा रूप कृपालु वो ही ||

     

    इक वीरा माँ नाम उसी का,
    धर्म कर्म है काम उसी का,
    एक ज्योति के रूप करोड़ो,
    किसी रूप से मुंह ना मोड़ो ||

     

    जाने वो किस रूप में आये,
    जाने कैसा खेल रचाए,
    उसकी लीला वो ही जाने,
    उसको सारी सृष्टि माने ||

     

     

    जीवन मृत्यु हाथ में उसके,
    जादू है हर बात में उसके,
    वो जाने क्या कब है देना,
    उसने ही तो सब है देना ||

     

    प्यार से मांगो याचक बनके,
    की जो विनय उपासक बनके,
    वो ही नैय्या वो ही खिवैया,
    वो रचना है वो ही रचैय्या ||

     

    जिस रंग रखे उस रंग रहिये,
    बुरा भला ना कुछ भी कहिये,
    राखे मारे उसकी मर्जी,
    डूबे तारे उसकी मर्जी ||

     

    जो भी करती अच्छा करती,
    काज हमेशा सच्चा करती,
    वो कर्मन की गति को जाने,
    बुरा भला वो सब पहचाने ||

     

    दामन जब है उसका पकड़ा,
    क्या करना फिर तकदीर से झगड़ा,
    मालिक की हर आज्ञा मानो,
    उसमे सदा भलाई जानो ||

     

     

    शांता माँ से शान्ति मांगो बन के दास,
    खोटा खरा क्या सोचना कर लिया जब विश्वास ||


    रेणुका माँ पावन मंदिर,
    करता नमन यहाँ पर अम्बर,
    लाचारों की करे रखवाली,
    कोई सवाली जाए ना खाली ||

     

     

    ममता चुनरी की छाँव में,
    स्वर्ग सी सुंदर ही गाँव में,
    बिगड़ी किस्मत बनती देखी,
    दुःख की रैना ढलती देखी ||

     

     

    इस चौखट से लगे जो माथा,
    गर्व से ऊँचा वो हो जाता,
    रसना में रस प्रेम का भरलो,
    बलिदेवी का दर्शन करलो ||

     

     

    विष को अमृत करेगी मैय्या,
    दुःख संताप हरेगी मैय्या,
    जिन्हें संभाला वो इसे माने,
    मूढ़ भी बनते यहाँ सयाने ||

     


    दुर्गा नाम की अमृत वाणी,
    नस-नस बीच बसाना प्राणी,
    अम्बा की अनुकम्पा होगी,
    वन का पंछी बनेगा योगी ||

     

     

    पतित पावन जोत जलेगी,
    जीवन गाडी सहज चलेगी,
    ठहरे ना अंधियारा घर में,
    वैभव होगा न्यारा घर में ||

     

     

    भक्ति भाव की बहेगी गंगा,
    होगा आठ पहर सत्संगा,
    छल और कपट ना छलेगा,
    भक्तों का विश्वास फलेगा ||

     

     

    पुष्प प्रेम के जाएंगे बांटे,
    जल जाएंगे लोभ के कांटे,
    जहाँ पे माँ का होय बसेरा,
    हर सुख वहां लगाएगा डेरा ||

     

     

    चलोगे तुम निर्दोष डगर पे,
    दृष्टि होती माँ के घर पे,
    पढ़े सुने जो अमृतवाणी,
    उसकी रक्षक आप भवानी ||

     

     

    अमृत में जो खो जाएगा,
    वो भी अमृत हो जायेगा,
    अमृत, अमृत में जब मिलता,
    अमृतमयी है जीवन बनता ||

     

     

    दुर्गा अमृत वाणी के अमृत भीगे बोल,
    अंत:करण में तू प्राणी इस अमृत को घोल ||

     

     

    || जय माता दी ||

     

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