हो चतुर काना बेगा सा आज्यो सा | राजस्थानी भजन लिरिक्स
प्रकाशित: 26 Jun, 2025
राजस्थान मांड
है रे कान्हा नंद तैने चराई डोर।
प्रित कि रित जाने नही तैने खायो माखन चोर
हो चतुर काना बेगा
सा आज्यो सा ।। टेर ।।
रुकमण जोवे थारी बाठ।
हो चतुर काना बेगा सा आज्यो सा।
बोल नाहे थारी बाठ। या जोवे बाठ। दो मे को सभी
काहे कि पतिया लिखु जी
काहे कि कलम दवात
कोन सखी को नाम लिखु जी
कोन द्वारीका जाय
हो चतुर काना
बेगा सा आज्यो सा ।। टेर ।।
चीर फाड़ पतियां लिखुं जी उंगली की कलम द्वार
श्री कृष्ण को नाम लिखें जी
उदव द्वारिका जाय
हो चतुर काना बेगा सा आज्यो सा ।। टेर ।।
रुकमण नाहे थारी बाठ
हो चतुर काना
बेगा सा आज्यो सा।टेर
बगुला घेरी माली रे।
सिंह ने घेरी गाय
रुकमण ने शिषपाल घेरी लिजिये बैग छुडाए
हो चतुर काना
बेगा सा आज्यो सा ।। टेर ।।
रुकमण नाहे थारी बाठ।
हो चतुर काना
बेगा सा आज्यो सा ।। टेर ।।
चंद्र सखी कि विनती जी
सुन ज्यो कृष्ण मुरार
खेती सांवरा बेगा पधार
मरु कटारी मार
हो चतुर काना
बेगा सा आज्यो सा ।। टेर ।।
रुकमण नाहे थारी बाठ।
Q1. "हो चतुर काना बेगा सा" भजन किस भाषा में है?
यह एक पारंपरिक राजस्थानी भाषा में भक्ति भजन है।
Q2. इस भजन का भावार्थ क्या है?
यह भजन भगवान कृष्ण के गोकुल आगमन पर खुशी और उल्लास को दर्शाता है।
Q3. क्या मैं यह भजन डाउनलोड कर सकता हूँ?
आप इस भजन के ऑडियो या वीडियो वर्ज़न को यूट्यूब या लोक संगीत वेबसाइट्स से सुन सकते हैं।
प्रकाशित: 26 Jun, 2025
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