चंचल मन निशदिन भटकत है हिंदी भजन लिरिक्स

    सत्संगी भजन

    • 13 Jul 2025
    • Admin
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    चंचल मन निशदिन भटकत है हिंदी भजन लिरिक्स

    चंचल मन निशदिन भटकत है हिंदी भजन लिरिक्स

    चंचल मन निशदिन भटकत है
    एजी भटकत है भटकावत है ॥ टेक ॥


    जिम मर्कट तरु ऊपर चढकर डार डार पर लड़कत है ॥


    रुकत जतन क्षण विषयन तें फिर तिनही में अटकत है ॥


    काच के हेत लोभकर मूरख चिंतामणि को पटकत है ॥


    ब्रम्‍हानंद समीप छोडकर तुच्छ विषय रस गटकत है ॥

     

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