राजा मोरध्वज रतन कंवर की कथा लिखित हिंदी लिरिक्स

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    कृष्ण भगवान की कथा लिखित हिंदी लिरिक्स

    भक्त का सत लेवे भगवान,
    श्री कृष्ण करे अजमान।।


    चलत – बोले अर्जुन नामी,
    तेरा भक्त बताओ नामी,
    मुजे आवे एतबान,
    तब तो बोले श्री भगवन्त,
    अर्जुन तुम बन जाओ संत,
    चाला भक्तों के दरबार।।

    चोपाई – अर्जुन आप चले यदुराई,
    अंग भभूती जटा चिटकाई।
    सोरठ – केहरिया लीना सिंह चले महाराजा,
    एक प्रेम भक्त का जा रोक्या दरवाजा,
    दरम्यान करे पुकार सुनो जी स्वामी,
    संता के संग में सिंह धकड़ता ओ नामी।

    सुनते ही राजन आया,
    कर जोड़ के शीश नवाया,
    सन्तो के दर्शन पाया,
    भूपति मुख से फ़रमाया,
    तोड़ – तुम कृपा करके कहो आज,
    यही रहो भक्त थाने राखु जी मेहमान,
    श्री कृष्ण करे अजमान।।


    चलत – बोले साधु जन अवतारी,
    सुनलो राजन बात हमारी,
    तन में भूख लगी है भारी,
    कुछ मंगवाओ।
    सारी बस्ती में फिर आये,
    मुठी भर भोजन नही पाए,
    सबने नाम तेरा बतलाये,
    सुनो भक्त ज्ञानी।

    चोपाई – इतनी ओ सुनकर बोले महाराजा,
    मंगवादु दूध जलेबी ताजा।
    सोरठ – आटा मंगवादु हुक्म देवो हमको,
    मिस्ठान दूध चावल मँगवादु तुमको।

    यू कहे मोरध्वज राजा,
    बकरा मंगवादु ताजा,
    हिरनी का मांस ख़िलाजा,
    तेरे सिंह की भूख बजाजा।
    तोड़ – बकरा नही खावे नार पुत्र तेरो मार,
    भक्त तुम धरो हरि का ध्यान।
    श्री कृष्ण करे अजमान।।


    चलत – राजा भक्ति में प्रवीण,
    तुमने कैसे किया आखीन,
    तुम तो घर मैं प्राणी तीन,
    पूछो रानी ने।
    राजा महलो के दरम्यान,
    राणी सुनलो चतुर सुजान,
    द्वारे खड़ा है भगवान,
    गिरवर धारी।

    चोपाई – सन्त तो मांगे राणी कवर तुम्हारो,
    पुत्र को चीर सिंह को डारो।
    सोरठ – ले जावो रघुनाथ उनके हाथ सुरग जाएगा,
    पिया होगा जग में अमर नाम भला पायेगा।
    रानी ने सुनाई बात चुके मत पिया,
    धन माल कुटम्ब परिवार उन्ही का ओ दिया।
    पुत्र ने मात समझावे बेटा कायर मत हो जावे,
    भक्ति के दाग लग जावे बैकुण्ठ हाथ नही आवे।
    तोड़ – लड़का हुआ तैयार पिता की लार,
    कपड़ा खोल के किया स्नान।
    श्री कृष्ण करे अजमान।।


    चलत – राजा रानी आये बार,
    लाये रतन कंवर को लार,
    साधु लड़का है तैयार,
    कुछ फरमाओ।
    तब तो बोले श्री रघुवीर,
    लाओ रतन कंवर को चीर,
    देवो केहरिया ने नीर,
    चौका लगवाओ।

    चोपाई – कर में भूप करोति लीन्हि,
    सूत के शीस तुरत धर दीन्ही।
    सोरठ – लड़का को बिठाया आगे मोह को त्यागे,
    राजा और रानी करोत खीचन लागे,
    संतो ने सुनाई बात राजा सुन लीजे,
    आंसू नही काढ़े एक रानी ने कह दीजै।
    दो फांग कवर की किन्ही तब निकली जान रंग भीनी,
    एक सिंह बलि को दीन्ही दूजी रंग महल धर दीन्ही।
    तोड़ – रानी ने रोती देख कंवर का लेख,
    संत अब करने लगे तूफ़ान।
    श्री कृष्ण करे जी अजमान।।


    चलत – राजा मोरध्वज को टेरे,
    भोजन नहीं करेंगे तेरे,
    रानी आंसू कैसे डारे,
    हम तो जाते है।
    राजा हो गया लाचार,
    अब क्यों जाते हो सरकार,
    लेवो सामग्री तैयार,
    कुछ फरमाओ।

    चोपाई – आटा दाल गिरत मंगवाओ,
    षट रस भोजन तुरत बनवाओ।
    सोरठ – आख़िर त्रिया की जात समज बिन हीना,
    पानी का बर्तन लाय के चौका दीन्हा।
    अर्जुन ने करि तैयार रसोई प्रेम से भरी सुनो तुम राजा,
    पांचो ही पत्तल लेइ जिम्बा ने आजा।
    पनवाड़ा पांच बनाया राजा रानी को बिठाया,
    भागवत ने वचन सुनाया तेरा कवर क्यों नही आया।

    तोड़ – राजा जोड़े हाथ सुनो रगुनाथ,
    कवर मेरा सोया है नादान।
    श्री कृष्ण करे अजमान।।


    चलत – हेला अर्जुन से पड़वाया,
    कंवर दौड़ महल से आया,
    वाकी कंचन वर्णी काया,
    मुख में पान का बीड़ा।
    आये मोरध्वज के लाला,
    ओढ़े रेशमी दुशाला,
    गले मोतियन की माला,
    सिर पर चिरा।

    चोपाई – रुच रुच भोग लगायो गिरवर धारी,
    अमर हो गई रे राजा भक्ति तुम्हारी।
    सोरठ – माँगन हो सो मांग मुल्क हस्थाना,
    जो थू मांगे सो भर देउ राज खजाना।
    राजा जोड़े हाथ सुनो रघुनाथ और क साथ ऐसी मत कीजे,
    थारो कोई नही लेवेला नाम नाथ सुन लीजे।
    राजा को चेन जब आया वाका मरयोड़ा कंवर उठ धाया,
    भगवत ने वचन सुनाया ब्रजबाला राम कथ गाया।
    तोड़ – रघुवीर धनी को भजो ओर को तजो,
    भक्त तेरा होगा रे कल्याण।
    श्री कृष्ण करे अजमान।


    भक्त का सत लेवे भगवान,
    श्री कृष्ण करे अजमान।।

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