राजा भर्तृहरी की कथा लिरिक्स
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    राजा भर्तृहरी की कथा एक प्रसिद्ध भारतीय कथा है, जो उनके जीवन, योग्यता और अद्भुत अनुभवों से संबंधित है। भर्तृहरी की कहानी में उनकी राजकीय जीवन, साधना और उनके द्वारा लिखित ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर हम राजा भर्तृहरी की पूरी कथा का संक्षेप में वर्णन कर रहे हैं:


    राजा भर्तृहरी का जन्म

    राजा भर्तृहरी का जन्म एक समृद्ध और महान कुल में हुआ था। वे नंदनपुरी (अब मध्यप्रदेश) के राजा थे और उनके पिता का नाम राजा विदर्भ था। भर्तृहरी को बचपन से ही अद्भुत विद्या, शौर्य और वीरता का आभास था। वे एक साहसी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, जिन्होंने राज्य की उन्नति के लिए कई कार्य किए।


    भर्तृहरी का राजकीय जीवन

    राजा भर्तृहरी अपने राज्य के लिए समर्पित थे। वे न्यायप्रिय, धर्मनिष्ठ और पराक्रमी थे। राज्य में सुख-शांति बनाए रखने के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उनके शासन काल में प्रजा खुशहाल थी, और उनका शासन "धर्मराज्य" के रूप में प्रसिद्ध हुआ।


    विवाह और जीवन के उतार-चढ़ाव

    राजा भर्तृहरी का विवाह एक सुंदर और रूपवती कन्या से हुआ, जो बाद में राजा के जीवन में एक बड़ा मोड़ लेकर आई। उनकी पत्नी ने एक और युवक से प्रेम करना शुरू किया, और भर्तृहरी के विश्वास को तोड़ दिया। यह घटना भर्तृहरी के जीवन में एक बड़ा झटका थी, और उसने अपने राजमहल और राज्य को छोड़ दिया।


    भर्तृहरी का संन्यास

    राजा भर्तृहरी के जीवन में यह दिल दहला देने वाली घटना बहुत भारी थी। पत्नी के विश्वासघात और संसारिक सुखों से दुखी होकर उन्होंने राज्य और धन को छोड़कर संन्यास लेने का निर्णय लिया। उन्होंने अपना राजसी जीवन त्याग दिया और वन में तपस्या और साधना करने चले गए।


    भर्तृहरी की साधना

    राजा भर्तृहरी ने जंगल में जाकर कठिन साधना शुरू की। वे ज्ञान की प्राप्ति के लिए कई वर्षों तक तपस्या करते रहे। इस दौरान उन्होंने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझा और संसार की अस्थिरता को जाना। वे प्राचीन संस्कृत साहित्य के महान रचनाकारों में से एक माने जाते हैं।


    भर्तृहरी के ग्रंथ

    राजा भर्तृहरी ने अपने जीवन के अनुभवों और ध्यान के माध्यम से कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, जिनमें "विभाग शतक", "नित्य शतक" और "शतक शतक" शामिल हैं। इन ग्रंथों में उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रेम, वेदना, मृत्यु, संसार की नश्वरता, और आत्मज्ञान पर गहरे विचार किए।

    भर्तृहरी का जीवन संदेश

    राजा भर्तृहरी का जीवन हमें यह संदेश देता है कि सांसारिक सुखों में बहुत भ्रम होता है, और अंतिम सुख आत्मज्ञान में ही है। उनका जीवन यह दर्शाता है कि भले ही हम कितनी भी दुनिया की चीजों को हासिल कर लें, अंततः हमें अपने भीतर की शांति और ज्ञान की ओर मुड़ना होता है।

    उनका जीवन न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें आत्मनिर्भरता, संयम और साधना की ओर भी प्रेरित करता है।

    यह थी राजा भर्तृहरी की पूरी कथा, जिसमें उनकी जीवन यात्रा, उनके दर्द और उनके द्वारा प्राप्त किए गए महान ज्ञान का समावेश है।


    1. यह भजन लिरिक्स भी पढ़े !  

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