नर तन बार बार नहि मिलता भजन लिरिक्स
नर तन बार बार नहि मिलता
परिचय: "नर तन बार बार नहि मिलता" एक प्रेरणादायक भक्ति भजन है जो हमें इस मानव जीवन की महत्ता को समझाने का संदेश देता है। यह भजन हमें सिखाता है कि यह दुर्लभ मानव शरीर हमें बार-बार नहीं मिलता, इसलिए इसे व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए।
भजन के बोल:
नर तन बार बार नहि मिलता ॥
बार बार परिवार मिलेंगे,
माया से सब ठाठ मिलेंगे
गुरु अवसर नही मिलता,
नर तन बार बार नहि मिलता॥
पहली कृपा तूने नर तन पाये,
दूसरी कृपा गुरु द्वारे पर आये
फिर भी नही समझता,
नर तन बार बार नहि मिलता॥
मन शिशे पर लग रही काई,
क्यो सोया लेकर अगवाई
गुरु सग नही रगड़ता,
नर तन बार बार नहि मिलता॥
सुख दुख दोनो मन की लीला,
इसे देख क्यो पड़ गया ढीला
क्यों हंसता क्यों रोता,
नर तन बार बार नहि मिलता॥
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भजन का भावार्थ: इस भजन में यह बताया गया है कि हमें यह अमूल्य मानव जीवन बार-बार नहीं मिलता। हमें इसे सांसारिक माया में खोने के बजाय, इसे आध्यात्मिक साधना और गुरु की सेवा में लगाना चाहिए।
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मानव जीवन की अनमोलता: हम बार-बार जन्म लेकर अलग-अलग परिवारों में आ सकते हैं, लेकिन इस जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का अवसर बार-बार नहीं मिलता।
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गुरु का महत्व: अगर हमने इस जीवन में सच्चे गुरु का सान्निध्य पा लिया, तो यह बहुत बड़ा सौभाग्य है। लेकिन यदि हम इसे भी नहीं समझते, तो यह जीवन व्यर्थ चला जाता है।
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मोह-माया का जाल: संसार की माया में फँसकर हम अपने वास्तविक उद्देश्य को भूल जाते हैं। मन पर मोह-माया की परत जम जाती है, जिसे गुरु ही साफ कर सकते हैं।
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सुख-दुख की अस्थिरता: यह संसार सुख-दुख का खेल है। हमें अपने जीवन को आध्यात्मिक जागरूकता के साथ जीना चाहिए।
निष्कर्ष: इस भजन के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन को व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए। यह शरीर हमें ईश्वर भक्ति और आत्मा के उद्धार के लिए मिला है। इसलिए हमें इसे माया में नहीं खोकर, प्रभु की भक्ति और गुरु के मार्गदर्शन में लगाना चाहिए।
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