म्हारे गुरांजी मिलण रो पूरो चाव हिंदी भजन लिरिक्स

    रति नाथ भजन

    • 22 Feb 2024
    • Admin
    • 338 Views
    म्हारे गुरांजी मिलण रो पूरो चाव हिंदी भजन लिरिक्स
    म्हारे गुरांजी मिलण रो पूरो चाव, उम्मेदी दिल में लाग रही ॥
     
    म्हारे उम्मेदी ऐसी लगी जी, निर्धानियां धन होय।
    बांझनार पुत्र ने तरसे, मैं तरसुं दाता तोय 11॥
     
    नैया पड़ी मझधार में जी, अध बिच झोला खाय ।
    सतगुरु केवटिया होकरम्हारी नैया नै पार लगायl2॥
     
    सतगुरु मेरे समद हैं जी, मैं गलियन को नीर।
    उलट समद में मिल गई, कंचन भयो शरीर 13॥
     
    जग रूठे तो रूठन दे, मेरे सतगुरु रूठे नांय।
    जो मेरे दाता राजी हों तो, रूठ्या मना लू करतार 4॥
     
    गुरु गहरा गुरु भावरा गुरु देवन के देव।
    रामानन्द जीरा भणत कबीरा' केवल पायो उपदेश॥5॥
    Share This Post:
    WhatsApp Group Join Now
    Telegram Group Join Now

    Popular Bhajan Lyrics

    Stay Connected With Us