मेरे दाता के दरबार में सब लोगो का खाता भक्ति भजन लिरिक्स
प्रकाशित: 01 Jun, 2025
मैं अरज करूँ श्री राधा गोविन्द आप सुन लीजो ।
थाँका चरण कमल की भक्ति सदा मोहे दीजो ।। १ ।।
ऐजी प्रभु मैं अनाथ तुम नाथ कृपा मोपे कीजो ।
अब मेरी गरीब की विनय कान घर लीजो ॥ २ ॥
ऐजी प्रभु भवसागर मैं भयो जात महाराजा ।
मैं बेद पुराण न सुनो जी जगत के राजा ।। ३ ।।
ऐजी प्रभु मोह माया जंजाल जनम की फाँसी ।
मैं फसा जात हूँ निकसा कैसे जासी ।। ४ ।।
ऐजी प्रभु अजायेमल से पतित उबारेन त्यारे ।
जब सुआ पढ़ावत गणिका हरि ने त्यारी ।। ५ ।।
अजी प्रभु प्रहलाद काज नृसिंह रूप हरि धारो।
जब हिरण्य कश्यप को उदर नखन ते बिदारयो ।। ६ ।।
ऐजी प्रभु द्रुपद सुता को चीर बढायो बहु भारी ।
जब दुष्ट दुशासन खैंचत खैँचत हारि ।। ७ ।।
ऐजी प्रभु ब्रज पर कोप कियो इन्द्र ने भारी ।
जब बावाँ नख पर गोवर्धन गिरधारी ।। ८ ।।
ऐजी प्रभु पाप पुण्य का भार शीश पर भारी ।
मेरा भाग उतारो आपहि हो बनवारी ।। ९ ।।
ऐजी प्रभु विप्र सुदामा की विनती आप सुन लीजो ।
म्हारी हुई दरिद्रता दूर भक्ति निज दीजो ।। १० ।।
ऐजी प्रभु ऐजी प्रभुमुझ गरीब की सुन-सुन अन्तर्यामी ।
अब मेरा बेड़ा पार लगावो आप मेरे स्वामी ।। ११ ।।
ऐजी प्रभु भक्तवत्सल भगवान जगत के राजा ।
म्हारी गौर 'सूर' की विनय सुनो महाराजा ।। १२ ।।
प्रकाशित: 01 Jun, 2025
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