हर भज हर भज हीरा परख ले भजन लिरिक्स
हर भज हर भज हीरा परख ले ॥
हर भज हर भज हीरा परख ले,
समझ पकड़ नर मजबूती ।
साचा समरन करो सायब रा ,
और वार्ता सब झूठी ॥
इन्द्र घटा ले सतगुरु आया,
अम्रत बुंदा हद बूँटी ।
त्रिवेणी के रंग महल में ,
साधा लाला हद लूटी
हर भज …
इण काया में पाँच चोर है,
जिनकी पकड़ो सिर चोटी |
पाँचो ने मार पच्चीस वश करले ,
जद जाणा तेरी रजपुती
हर भज …
सत सुमरण का सैल बणाले,
ढाल बणाले धीरज की |
काम, क्रोध ने मार हटा दे,
जद जाणु थारी मजबुती
हर भज …
झरम रझरमर बाजा बाजै,
झिलमिल ज्योतो वे जलती |
ओंकार पर रणोकार है हँसला ,
चुग गया निज मोती
हर भज …
पक्की घड़ी का तोल बणाले,
काण ने राखो एक रती ।
गुरु चरणे मछेन्द्र बोले,
अलख लख्या सो खरा जती
हर भज …
✅ FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1: "हर भज हर भज हीरा परख ले" भजन का क्या अर्थ है?
A: इस भजन में आत्मा को हरि नाम (हर भज) स्मरण करने की प्रेरणा दी गई है और सच्चे गुरु को परखने का संकेत है — जैसे हीरे की परख होती है, वैसे ही सतगुरु की।
Q2: 'हीरा परख ले' का आध्यात्मिक भाव क्या है?
A: 'हीरा' प्रतीक है सतगुरु या ज्ञान का, और 'परख' का अर्थ है विवेकपूर्वक पहचान करना। यह आत्मा को चेताने का संकेत है कि सतगुरु ही सच्चा मार्ग है।
Q3: यह भजन किस भक्ति परंपरा से जुड़ा है?
A: यह भजन निर्गुण भक्ति से जुड़ा हुआ है — विशेषतः कबीर, रैदास, और दादू पंथ से। यह सत्संगों में अक्सर गाया जाता है।
Q4: क्या इस भजन का कोई प्रसिद्ध गायक है?
A: कई लोकगायक और संतवाणी मंडलियां जैसे प्रह्लाद टिपानिया, विजय सोनी आदि इसे गा चुके हैं। यूट्यूब पर इसके कई संस्करण उपलब्ध हैं।
Q5: इस भजन का क्या मुख्य संदेश है?
A: आत्मा को सच्चे गुरु और ईश्वर की पहचान करनी चाहिए और हरि नाम का स्मरण करते हुए भक्ति मार्ग पर चलना चाहिए।
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