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    गुरु पूर्णिमा 2025: वैदिक पंचांग और गुरु पूजन के महत्व के साथ

    गुरु पूर्णिमा 2025: वैदिक पंचांग और गुरु पूजन के महत्व के साथ
    09 Jul
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    गुरु पूर्णिमा 2025: वैदिक पंचांग और गुरु पूजन के महत्व के साथ

    🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
    दिनांक: 10 जुलाई 2025
    दिन: गुरूवार
    विक्रत संवत: 2082
    शक संवत: 1947
    अयन: दक्षिणायन
    ऋतु: वर्षा ॠतु
    मास: आषाढ
    पक्ष: शुक्ल
    तिथि: पूर्णिमा 11 जुलाई रात्रि 02:06 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
    नक्षत्र: पूर्वाषाढा (11 जुलाई प्रातः 05:56 तक) तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा
    योग: इन्द्र (रात्रि 09:38 तक) तत्पश्चात वैधृति
    राहुकाल: दोपहर 02:24 से शाम 04:04 तक
    सूर्योदय: 06:04
    सूर्यास्त: 07:23
    👉 दिशाशूल: दक्षिण दिशा में
    🚩 व्रत पर्व विवरण:
    व्रत पूर्णिमा, आषाढ़ी पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, ऋषिप्रसाद जयंती, संयासी चतुर्मास आरंभ

    💥 विशेष:
    पूर्णिमा एवम् व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)


    गुरु पूर्णिमा का महत्व और गुरु पूजन विधि

    गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है, जो गुरु के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, और गुरु महेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं। गुरु पूर्णिमा पर विशेष रूप से वेदव्यास जी का सम्मान किया जाता है, जिनके योगदान से भारतीय धर्म, संस्कृति और वेदों का संरक्षण हुआ।


    गुरु पूजन मंत्र

    गुरु पूर्णिमा के दिन, गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था व्यक्त करने के लिए हम इन विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

    1. गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः
      गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः

    2. ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम्
      मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा

    3. अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्
      तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः

    4. त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव
      त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव

    5. ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं
      द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्षयम्

    6. एकं नित्यं विमलं अचलं सर्वधीसाक्षीभूतम्
      भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि


    गुरु पूर्णिमा पर पूजन विधि

    गुरु पूर्णिमा के दिन षोडशोपचार पूजा (16 प्रकार की पूजा) करके हम अपने गुरु को सम्मानित करते हैं। गुरु के चरणों में श्रद्धा रखते हुए, उन्हें पुष्प अर्पित करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना इस दिन का मुख्य उद्देश्य होता है।

    🙏🏻 मानस पूजा विधि:
    मन में यह भावना करते हुए गुरु के चरण धोने, स्नान कराने, चंदन से तिलक करने, अक्षत चढ़ाने, गुलाब के फूलों से माला अर्पित करने, और उनके श्री चरणों में अपने मन, वचन और क्रिया से संकल्प अर्पित करना।

    गुरु पूजन के दौरान हम अपने पांच इन्द्रियों, ज्ञानेंद्रियों, और मन की चेष्टाएँ गुरु के चरणों में अर्पित करते हैं। ऐसा करने से हमारे जीवन में गुरु की कृपा से ज्ञान, सुख और शांति का वास होता है।

    गुरु पूजन मंत्र:

    🙏🏻 कायेन वाचा मनसेन्द्रियैवा बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात्
    करोमि यद् यद् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि

    इस मंत्र के माध्यम से हम अपने संपूर्ण कार्यों और चेष्टाओं को गुरु के चरणों में समर्पित करते हैं, ताकि हमारी जीवन यात्रा में हम सही दिशा में अग्रसर हो सकें।


    गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

    गुरु पूर्णिमा का पर्व सिर्फ एक आस्था का विषय नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन में गुरु के महत्व को समझने और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर भी है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान के समान दर्जा दिया गया है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव है। गुरु ही हमें सही मार्गदर्शन देते हैं और हमारे जीवन के हर संकट में हमारे साथ होते हैं।


    FAQs:

    Q1: गुरु पूर्णिमा 2025 कब है?

    A1: गुरु पूर्णिमा 2025 10 जुलाई को रात 1:36 बजे से शुरू होगी और 11 जुलाई को रात 2:06 बजे समाप्त होगी।

    Q2: गुरु पूर्णिमा पर क्या पूजन करना चाहिए?

    A2: गुरु पूर्णिमा पर गुरु के चरण धोने, तिलक करने, अक्षत चढ़ाने, और गुलाब की माला अर्पित करने से साधक का हृदय शीघ्र शुद्ध और उन्नत होता है।

    Q3: गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व है?

    A3: गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का है। यह दिन विशेष रूप से वेदव्यास जी की पूजा करने और उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

    Q4: गुरु पूर्णिमा पर क्या निषेध है?

    A4: गुरु पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है, जैसे कि ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है।


    Conclusion:
    गुरु पूर्णिमा 2025 एक खास दिन है जब हम गुरु के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को शुद्ध और उन्नत बनाते हैं। यह दिन हमें ज्ञान और आध्यात्मिकता की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।

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