ॐ गं गणपतये नमो नम: मंत्र लिरिक्स
प्रकाशित: 23 Apr, 2025
ऐहे… पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे,
पणघट को,
पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे,
पणघट को,
बड़ो ही रसियो रे, कान्हो मन बसियो रे,
पणघट को,
ऐहे… कांछा की ओठ छिप्यो रे मन मोहन,
अरे गोपियाँ ने रोच दिखाव तसियो रे,
पणघट को,
पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे,
पणघट को,
ऐहे… सब रे सखियाँ तो जळ भरणे आयी रे,
अरे मन मोहन में बांको मन बसियो रे,
पणघट को,
पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे,
पणघट को,
ऐहे… हंस हंस मीठी रे मीठी बात बणाव रे,
अरे मटकी तो फोड़के रे श्याम हसियों रे,
पणघट को,
पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे,
पणघट को,
ऐहे… चंद्र सखी शरणागत आयी रे,
अरे चरण कमल में म्हारो चित्त बसियो रे,
पणघट को,
पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे,
पणघट को,
बड़ो ही रसियो रे, कान्हो मन बसियो रे,
पणघट को,
पणघट को रे श्याम बड़ो ही रसियो रे,
पणघट को,
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प्रकाशित: 23 Apr, 2025
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