म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय | दलाली हिरा लालन की भजन लिरिक्स

    रति नाथ भजन

    • 27 Feb 2024
    • Admin
    • 7982 Views
    म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय | दलाली हिरा लालन की भजन लिरिक्स

    म्हारा सतगुरु दिनी रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की,
    म्हारा सतगुरु दिनी रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की।।


    लाली लाली सब कहे,
    सबके पल्ले लाल,
    गाँठ खोल परखी नही रे,
    ईन विध भयो रे कंगाल,
    दलाली हिरा लालन की,
    म्हारा सतगुरु दीन्हि रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की।।


    लाली पड़ी मैदान में,
    अलख उलांगियो जाए,
    नुगरा ठोकर मार दिनी,
    सुगरा तो लिनी रे उठाये,
    दलाली हिरा लालन की,
    म्हारा सायब दीन्हि रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की।।


    इधर से अंधा आविया रे,
    उधर से अंधा आये,
    आंधा ने आंधा मिले रे,
    मार्ग कुण तो बताये,
    दलाली हिरा लालन की,
    म्हारा सतगुरु दीन्हि रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की।।


    माखी बैठी शहत पर रे,
    पंखुड़िया लिपटाये,
    उड़ने रा सासा पड़े रे,
    लालच बुरी रे बला,
    दलाली हिरा लालन की,
    म्हारा सतगुरु दीन्हि रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की।।


    लाली लाली सब कहे रे,
    लाली लखी न जाये,
    लाली लखी एक दास कबीरसा,
    आवागमन मिट जाये,
    दलाली हिरा लालन की,
    म्हारा सतगुरु दीन्हि रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की।।


    म्हारा सतगुरु दिनी रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की,
    म्हारा सतगुरु दिनी रे बतायेे,
    दलाली हिरा लालन की।।


    FAQs – म्हारा सतगुरु दिनी रे बताये, दलाली हिरा लालन की

    Q1: "दलाली हिरा लालन की" का क्या अर्थ है?
    A: यहाँ "दलाली" का अर्थ है मध्यस्थता या मार्गदर्शन, और "हीरा लालन" आत्मा (या परम सत्य) का प्रतीक है। सतगुरु उस आत्मिक हीरे को पाने का मार्ग बताता है।


    Q2: "म्हारा सतगुरु दिनी रे बताये" का भावार्थ क्या है?
    A: इसका मतलब है — मेरे सतगुरु ने मुझे वह ज्ञान बताया जो जीवन को अमूल्य बना देता है, जैसे कोई सच्चा दलाल (मार्गदर्शक) अनमोल हीरा दिलवा दे।


    Q3: यह भजन किस परंपरा से संबंधित है?
    A: यह भजन निर्गुण संत भक्ति, कबीरपंथ, या राजस्थानी लोक संत परंपरा से जुड़ा हो सकता है, जो आत्मज्ञान और गुरु महिमा पर आधारित होते हैं।


    Q4: 'हीरा लालन' किसका प्रतीक है?
    A: 'हीरा लालन' आत्मा का, परम तत्व का या ब्रह्मज्ञान का प्रतीक है — जो बेहद दुर्लभ और अमूल्य है, और जिसे सतगुरु ही दिला सकता है।


    Q5: यह भजन सत्संग में क्यों गाया जाता है?
    A: यह भजन श्रोताओं को सतगुरु की महत्ता समझाने, आत्मा की वास्तविक पहचान कराने और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।


    Q6: क्या यह भजन प्रतीकात्मक है?
    A: हाँ, इस भजन में गहरी प्रतीकात्मकता है — हीरा (आत्मा), दलाली (सतगुरु का मार्गदर्शन), बताये (ज्ञान), जो भक्त को आत्मिक चेतना की ओर ले जाते हैं।


    Q7: क्या इस भजन का कोई प्रसिद्ध संस्करण या गायक है?
    A: हाँ, इसे कई लोक भजन गायक जैसे विजय सोनी, प्रह्लाद टिपानिया, या अन्य संतवाणी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यूट्यूब पर इसके लोक और भक्ति संस्करण मिलते हैं।

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