कळप मत काछब कुड़ी भजन लिरिक्स
कळप मत काछब कुड़ी ए
रमय्ये री बाता रूडी ए
भक्ति का भेद भारी रे
लख कोई संतां का प्यारा।
काछवो काछ्वी रेता समद म
होया हरी का दास
साधू आवत देख के रे
सती नवाया शीश
पकड़ झोळी म घाल्या रे
मरण की अब के बारी रे।
कहे कछ्वी सुण रे काछवा
भाग सके तो भाग
घाल हांडी में चोडसी रे
तळ लगावे आँच
पड्यो हांडी में सीज रे
रूस गयो कृष्ण मुरारी रे।
कहे काछ्वो सुण ए काछवी
मन में धीरज राख
त्यारण वालो त्यारसी रे
सीतापति रघुनाथ
भगत न त्यारण आवे रे
गोविन्दो दोड्यो आवे रे।
कहे काछ्वो सुण रे सांवरा
भव लगादे पार
आज सुरजिया उदय नहीं होवे
आवे अमीरी मोत
भगत की हांसी होव रे
ओळमो आवे थाने रे।
उतराखंड से चली बादळी
इन्द्र रयो घरराय
तीन तूळया रि झोपड़ी रे
चढ़ी आकाशा जाय
पाणी की बूंदा बरसे रे
धरड धड इन्द्र गाजे रे।
किसनाराम की विनती साधो
सुनियो चित्त लगाय
जुग जुग भगत बचाइया रे
आयो भगत के काज
गावे यो जोगी बाणी रे
गावे यो पध निरबाणी रे।
✅ FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1: "कळप मत काछब कुड़ी" भजन का क्या अर्थ है?
A: यह भजन एक कन्या को संयम, मर्यादा और सही मार्ग पर चलने की सीख देता है। इसमें लोक शिक्षात्मक भाव छिपे हैं।
Q2: यह भजन किस भाषा में है?
A: यह भजन शुद्ध राजस्थानी भाषा में रचा गया है।
Q3: इस भजन की विशेषता क्या है?
A: यह भजन नारी शिक्षा, मर्यादा और लोक संस्कार को सुंदर तरीके से प्रस्तुत करता है। इसका संगीत सरल लेकिन भावपूर्ण होता है।
Q4: यह भजन किस प्रकार के आयोजनों में गाया जाता है?
A: यह भजन आमतौर पर भजन संध्या, ग्रामीण लोक मेले, और नारी सशक्तिकरण संबंधित आयोजनों में गाया जाता है।
Q5: क्या इसका ऑडियो या वीडियो उपलब्ध है?
A: हाँ, इस भजन के ऑडियो और वीडियो YouTube, लोक संगीत ऐप्स, और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपलब्ध हैं।
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